'जागो ग्राहक जागो' (कालचक्र) सबकी अपनी राह बनावटी संघर्ष की मौलिकता से उभरी नव-नव चेतना को समर्पित प्रयास के अद्भुत बल पर दुरी बढ़ते ही जा रही उदासीनता से ख़ुशी-ख़ुशी जीविका उत्थान हेतु शोध समर्पित तृष्णा या मानव आचरण ! एक प्रकृति निर्मित भू-पटल की कहानी इतिहास के पन्नों पर प्रमाण लिए टुकड़े-टुकड़े होती रही राष्ट्रीय मान की ओर विलय की अवधारणा को अस्वीकारती अब जूझ रही विधि-व्यवस्था से ख़ुशी-ख़ुशी सीमा निर्माण हेतु असिमित्ता का भय या विकल्प नहीं! बाँट लिया है हमने राष्ट्र को समूल सबके पक्ष को है दायरे से चिन्हित करना अनुशासन की धारा में एकत्र हो स्थिर होना कठिन है पर कथित लक्ष्य भी आदर्श की भूख में संतुलन का उपवास ख़ुशी-ख़ुशी अर्थ पूर्ण मानव जीवन हेतु प्रकृति के गोद में बेसुध या अर्थहीन परम्परा! विप्रणु ✒️ (जारी) #कालचक्र विप्रणु