यार वो अपना कभी खेलते थे कूदते थे हँसते थे गाते थे साथ साथ संग संग। कहाँ खो गए वो बचपन के साथी कहाँ खो गई वो उमंग। अब नहीं मिलते अब नहीं दिखते वक्त की धार में सब बह गए। फिर मिलेंगे कब मिलेंगे पता नहीं न कुछ कहा न कुछ कह गए। शायरः-शैलेन्द्र सिंह यादव #NojotoQuote शैलेन्द्र सिंह यादव की शायरी फिर कब मिलेंगे।