हवस की आंधी चली और मेरा साया उड़ गया
दरिंदगी में वह मां बहनों का पहचान भूल गया
नोच खाया है उसने मेरे पूरे बदन को
शरीर पर कपड़े भी नहीं बचे हैं अब कफन को
क्या कहूंगी मैं इस गूंगे बहरे समाज को
एक पल की भूख मिटाने को मुझे कलंकित कर गया
पूरा जीवन नजरे छुपाने को मुझे जिंदा छोड़ गया
@Internet Jockey नयनसी परमार @Indeevar Joshi@Aadarsha singh