White ग़ज़ल मैंने जिसे चाहा मुझे वो हासिल न हुआ। मुझे मारकर भी वो मेरा क़ातिल न हुआ। यूं तो की थीं मैंने उससे तमाम वफाएं, मगर वो मेरी मोहब्बत में शामिल न हुआ। शीशे की तरह तोड़ दिया उसने मेरा दिल, दिल को तोड़ना उसके लिए ज्यादा मुश्किल न हुआ। मैंने रो रोकर गंवा दी रोशनी आंखों की, मगर उस बेवफ़ा की आंखों का ख़राब काजल न हुआ। हर खुशी चली गई मुझको छोड़कर, मगर वो ज़रा भी गमों से बोझिल न हुआ। क्या खूब मुकद्दर था उस समंदर का भी, बहता रहा मुसलसल मगर नसीब साहिल न हुआ। बेवफाई मजाक लगी उसको तब तक, जब तक उसका यार भी संगदिल न हुआ। मैं लुटाता रहा वफाएं एक बेवफ़ा पर, है कौन यहां ऐसा जो इश्क़ में पागल न हुआ। उसने मिटा दिया मेरा हर अक्स आंखों से, मगर उसका चेहरा मेरी आंखो से ओझल न हुआ। ✍🏿 विश्वा पराक्रम :^) ©broken heart(analystprakram) #Sad_Status sad shayari sad quotes about life and pain sad status shayari sad