Nojoto: Largest Storytelling Platform

                ढूंढता हूँ.....!! हर नुक्कड़ हर

                ढूंढता हूँ.....!! 

हर नुक्कड़ हर गली, काम ढूंढता हूँ।
मजदूरी का सही, दाम ढूंढता हूँ। 

संग दिल दुनिया का सताया हुआ, मैं
मुसाफिर, बस दिन की शाम ढूंढता हूँ। 

अस्तित्व संज्ञा मेरी, अंतिम साँस पर,
आत्मा संतुष्ट, वही धाम ढूंढता हूँ। 

दुश्मन हर कदम, घात लगाए बैठे,
तेरे प्यार का पैगाम ढूंढता हूँ। 

कभी साजन भी खुद आन मिलें मुझसे,
मैं गरीब ऐसा मुकाम ढूंढता हूँ। 

नासमझी मेरी, तो जग जानता है,
तेरी कृपा का परिणाम ढूंढता हूँ। 

अनगिनत पाश में बंधा हुआ प्यासा, 
अभी इसी साँस में, राम ढूंढता हूँ। 
©मुक्ता शर्मा त्रिपाठी 22/05/23

©Mukta Sharma Tripathi
  #WinterSunset #मुक्तामणि #MUKTAmusafirparinde #muktamani