पत्थर की दुनिया जज्बात नहीं समझती, दिल में मेरे है वह बात नहीं समझती, बेवफाई तो मैंने देखी है तेरी, मगर तेरी रुसवाई को यह काली रात नहीं समझती..... kon samjhega mere jajbaato ko...