मेरी नज़र से, अपनी नज़र ना चुरा यूं मेरा, सुकून-ओ-सबर ना चुरा इन ख्याबों की परबानगी तुझसे है, मिन्नत की बात है, तू मेरे पर ना चुरा पर; पंख पास, तुझे खो देने का डर ही बचा है कम से कम मुझसे, ये तो डर ना चुरा मेरी मंजिल, तू ही तो है जाना यूं जिंदगी भर का मेरा सफ़र ना चुरा मेरी नज़र से, अपनी नज़र ना चुरा यूं मेरा, सुकून-ओ-सबर ना चुरा इन ख्याबों की परबानगी तुझसे है, मिन्नत की बात है, तू मेरे पर ना चुरा पर; पंख पास, तुझे खो देने का डर ही बचा है कम से कम मुझसे, ये तो डर ना चुरा