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अपनों से ना आंखें चार हुई पर अजनबी से बातें हजा




अपनों से ना आंखें चार हुई
पर अजनबी से बातें हजार हुई...
दिखा नहीं वह शख्स सामने
पर खुद के अंदर उससे
 बातें बार-बार हुई...


जो प्रेम समाहित रहे हृदय में...
मैं ऐसी नदी की धार हुई....
बस पाने प्रेम उस अजनबी का
खुद में खुद से ही पार हुई।।

©Gudiya Gupta (kavyatri).....
  #अजनबी#