“वो सपने गुज़र गए” देखे थे कुछ सपने ज़िंदगी में आँखों से गुज़र गए चाहा था साथ किसी का बीच सफ़र में हाथ छुड़ा कर गए क्यों देखना ख़्वाब ऐसा जो आँखों को रुला जाए ऐसे ही कुछ सपने आँखों और हाथों से छूटते गए और हम धीरे धीरे अंदर से टूटते गए।। #kkवोसपनेगुज़रगए #similethougths #kkजन्मदिनमहाप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #जन्मदिनकोराकाग़ज़