बेरंग स्याही जिंदगी जैसे, कोरे काग़ज़ पर बेरंग स्याही है , गीत जिसमें, धुन और राग की है मनाही है ; लफ्ज़, जैसे बेबुनियाद, न तजुर्बा और न ही गहराई है, साथ कहाँ है अपनों का , बची सिर्फ मेरी परछाई है; कैसे ज़िक्र करूँ मैं उनका, अब क्या अच्छाई क्या बुराई है, सोचता हूँ लेट जाऊँ कब्र पे, मुस्कुराती मुझ पर, विषैली तन्हाई है । #nojoto_hindi #कोरे_पन्ने #बेरंग_स्याही #Stitches