प्रकृति के बनाए नियमों के विपरीत जाकर कविता अपने जन्म के लिए किसी परिस्थिति, परिवेश, प्रजनन या प्रक्रिया का इंतज़ार नही करती। मेरे द्वारा इस पंक्ति के लिखे जाने और आपके द्वारा इसे पढ़े जाने तक कितनी ही नई कविताएं जन्म ले चुकी होंगी। एक दिन जब सभी इंसान एक दूसरे से लड़ते हुए मर जाएंगे उस दिन भी ये कविताएं जीवित रहेंगी और अपने अंदर बचाए रखेंगी हम इंसानों के अस्तित्व को। हर कविता अपने लिखने वाले का नाम उसकी मृत्यु के पश्चात भी जीवित रखती है और इस तरह ये अपने रचयिता को उसे जन्म देने का मूल्य चुका देती है। कविता.. . . . . #amit #yqbaba #yqdidi #amitmaun