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इस मतलबी सी दुनिया में,बेमतलब सा सहारे के लिए शुक्

इस मतलबी सी दुनिया में,बेमतलब सा सहारे के लिए शुक्रिया।
बेहद कठिन था सफ़र इस कॉलेज का,उसे आसान बनाने के लिए शुक्रिया।।

गैरों के भीड़ में अपनों का पहचान करवाने के लिये शुक्रिया।
'मैं क्या हूँ, कैसा हूँ' ये सब बताने के लिए शुक्रिया ।।

मेरी छोटी छोटी गलतियां जो तेरी नसीहतों से सुधर रही,
कभी भूला जो अपनी पहचान तो,'मैं क्या हूँ' ये समझाने के लिए शुक्रिया।।

चारदीवारी में सिमटी हुई ज़िन्दगी,अनजान शहर,हर शक्श अजनबी,
मुझे पतझड़ से निकल कर कुछ हसीन मंजर दिखाने के लिए शुक्रिया।।

जब भी फ़िजूल की चर्चायें होती थी हमारी,उससे खुद का पल्ला झाड़ने के लिए शुक्रिया।
नई लड़कियों के एंट्री पर साथ बैठ कर ताड़ने के लिए शुक्रिया।।

जब रुत थी इम्तिहानों की,या फिर प्रोग्रेस रिपोर्ट दिखाने की,
क्या कुछ हो सकता है आख़िरी रात में,वो जादु सीखाने के लिए शुक्रिया।।

चलो! अब वक़्त ने समेटा है खुद को कुछ इस तरह....
उलझे रास्तों को सुलझाने के लिए शुक्रिया।।

©Rahul Ranjan #यादें #farewell #LastDay #college 

#kitaabein
इस मतलबी सी दुनिया में,बेमतलब सा सहारे के लिए शुक्रिया।
बेहद कठिन था सफ़र इस कॉलेज का,उसे आसान बनाने के लिए शुक्रिया।।

गैरों के भीड़ में अपनों का पहचान करवाने के लिये शुक्रिया।
'मैं क्या हूँ, कैसा हूँ' ये सब बताने के लिए शुक्रिया ।।

मेरी छोटी छोटी गलतियां जो तेरी नसीहतों से सुधर रही,
कभी भूला जो अपनी पहचान तो,'मैं क्या हूँ' ये समझाने के लिए शुक्रिया।।

चारदीवारी में सिमटी हुई ज़िन्दगी,अनजान शहर,हर शक्श अजनबी,
मुझे पतझड़ से निकल कर कुछ हसीन मंजर दिखाने के लिए शुक्रिया।।

जब भी फ़िजूल की चर्चायें होती थी हमारी,उससे खुद का पल्ला झाड़ने के लिए शुक्रिया।
नई लड़कियों के एंट्री पर साथ बैठ कर ताड़ने के लिए शुक्रिया।।

जब रुत थी इम्तिहानों की,या फिर प्रोग्रेस रिपोर्ट दिखाने की,
क्या कुछ हो सकता है आख़िरी रात में,वो जादु सीखाने के लिए शुक्रिया।।

चलो! अब वक़्त ने समेटा है खुद को कुछ इस तरह....
उलझे रास्तों को सुलझाने के लिए शुक्रिया।।

©Rahul Ranjan #यादें #farewell #LastDay #college 

#kitaabein
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Rahul Ranjan

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