हूं अगर दिलों में तो जताने की जरूरत नहीं, हूं अगर दोस्ती में तो बताने की जरूरत नहीं तेरा उस लम्हे में मेरा साथ देना जिस लम्हे में, मैं अकेला फील करती हूं मेरा यार जो भी बने मैं उस पर दिलो जान से मरती हूं ऐसी नहीं है मेरी आदत कि मैं समय के साथ बदलती हूं, पर अगर आगे वाला साथ ना चल कर चार कदम दूर चले तो मैं पहले ही संभलती हूं। ऐ मेरे दोस्त मेरी दोस्ती ऐसी है कि दोस्त के लिए जान भी दे दे सच्चा दोस्त वही है जो अपने दिल की बात को कह दे। ....... जो सूरत और कपड़े देख कर दोस्त बनाए। ...... रब उनको ऐसे स्वाभिमानी दोस्तो से ना मिलाए। ...... अगर सूरत और कपड़े ही है आज की दुनिया में रिश्तों का रास्ता तो क्यों हुआ था कृष्ण का सुदामा से वास्ता । ..... राजा होकर रो पड़े गरीब दोस्त के लिए, जिसने आंसुओं से पैर धोकर सुदामा के पिये। पर मानते है कलयुग मैं यह बातें ना अब चलती, समय के साथ दोस्तों की हर रूप में छवि है बदलती। हूं अगर दिलो में तो जताने की जरूरत नहीं हूं अगर दोस्ती में तो बताने की जरूरत नहीं _ज्योति गुर्जर #friendship_esi_ho