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छतों से अब लौट जाया करती हैं कुछ बेरंग नर्म धूप कु

छतों से अब लौट जाया करती हैं
कुछ बेरंग नर्म धूप कुछ छिटकती चाँदनी
रौनक खो चुकी हैं शाम को उभरती दो एक तारे
तारे तो आज भी टूटते हैं यकीनन
आसमां तो है पर अब नजरें नहीं टिकती 
अब छतों से.....
बादलों का रंग अब न उतरता है आंखों में
सर्द झोंके आँचल में तुम्हें न पाकर 
मायूस हो कर लौट जाया करती हैं 
डूबते सूरज का धीमे-धीमे बिलुप्त होना
जी नही करता पहरों बैठ कर देखते रहने का
अब छतों से..
-राकेश तिवारी- #hindiquotes #hindithoughts #shortstory #hindishortstory #hindiwriters #tumbin #terebina #yqdidi 
YourQuote Baba 
YourQuote Bhaijan 
YourQuote Dost
छतों से अब लौट जाया करती हैं
कुछ बेरंग नर्म धूप कुछ छिटकती चाँदनी
रौनक खो चुकी हैं शाम को उभरती दो एक तारे
तारे तो आज भी टूटते हैं यकीनन
आसमां तो है पर अब नजरें नहीं टिकती 
अब छतों से.....
बादलों का रंग अब न उतरता है आंखों में
सर्द झोंके आँचल में तुम्हें न पाकर 
मायूस हो कर लौट जाया करती हैं 
डूबते सूरज का धीमे-धीमे बिलुप्त होना
जी नही करता पहरों बैठ कर देखते रहने का
अब छतों से..
-राकेश तिवारी- #hindiquotes #hindithoughts #shortstory #hindishortstory #hindiwriters #tumbin #terebina #yqdidi 
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