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तितली जैसी चंचल हो तुम लाखों रंग में सनी हुई बारि

तितली जैसी चंचल हो तुम लाखों रंग में सनी हुई 
बारिश का फव्वारा हो मखमल से तुम बनी हुई
खुली किताब सी लगती हो तुम कैसे तुमको बयां करें 
जब जी चाहे लिख लें तुमको जब जी चाहे पढ़ा करें

©ABHISHEK ARZAI
  #Butterfly