तुम्हारे पत्थरों के सहर में शीशा टूटा है साहब । कातिलों की भीड में मोह्हबत का हाथ छूटा है साहब।। किसे अपने के हाथों ज़ख्मी हुआ हूं दोस्त मेरे खुदा ने मेरे दिल का सकून को लूटा हो जैसे। छातिर लोगों का शहर जो आया है''विन्दर'' ऐसा लगता है मासूमित का दम घुटा हो जैसे।। ©KULWINDER SINGH khetla #kulwinder_khetla khetla #leaf