हुए हैं हवा तो समझ आया है वो खुद एक काफिला है जो इस शहर आया है इस दरिया से उसकी प्यास क्या बुझेगी वो कई समंदरों से होकर गुजर आया है तुम्हे पाने की जिद मे कहीं जमीर भूल आये कल खबर थी कि कहीं नजर आया है शिकायतें क्या करें कुछ समझ नही अता कित्नी रातों के बाद तो वो घर आया है मैं मना करता भी तो किस तरह करता तेरे जूठे प्याले मे मेरा जहर आया है #बिखरापन