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52. अनकही बात प्रीति- प्रीति की धारा में बहती रही

52. अनकही बात

प्रीति- प्रीति की धारा में बहती रही, 
अनुराग-विनय का गान गाती रही, 
वो प्रेम- ईश्क पर लिखती रही, 
कभी मिलन, कभी विलाप वर्णित करती रही, 
इश्क का इम्तिहान भी कलम लिखती रही, 
मीरा, राधा, कृष्ण, राम जप करती रही, 
लेकिन अनकही बात बस एक रही, 
खुद के दिल की आवाज न कह रही, 
यही अनकहा जज्बात भूल रही, 
जो है उसका, उसको जता न रही.

©Ankit verma utkarsh❤ collection:- ठंडी धूप
52nd poetry
#girl  Lexie Mitchell Jay Patel SHIVAM Bhardwaj Prem chapagain Fact Fire
52. अनकही बात

प्रीति- प्रीति की धारा में बहती रही, 
अनुराग-विनय का गान गाती रही, 
वो प्रेम- ईश्क पर लिखती रही, 
कभी मिलन, कभी विलाप वर्णित करती रही, 
इश्क का इम्तिहान भी कलम लिखती रही, 
मीरा, राधा, कृष्ण, राम जप करती रही, 
लेकिन अनकही बात बस एक रही, 
खुद के दिल की आवाज न कह रही, 
यही अनकहा जज्बात भूल रही, 
जो है उसका, उसको जता न रही.

©Ankit verma utkarsh❤ collection:- ठंडी धूप
52nd poetry
#girl  Lexie Mitchell Jay Patel SHIVAM Bhardwaj Prem chapagain Fact Fire