चाहत है तो फिर कैसी मजबूरी मजबूरी के नाम पर न बढ़ाओ दूरी गर सच में है भी कोई मजबूरी तो लहज़े में तल्ख़ी भी क्या है ज़रूरी..? मोहब्बत वो दरिया है जिसका बहना है ज़रूरी, लहज़े में नरमी ओर रिश्तों में गर्माहट है ज़रूरी..! चाहत है तो फिर कैसी मजबूरी मजबूरी के नाम पर न बढ़ाओ दूरी गर सच में है भी कोई मजबूरी तो लहज़े में तल्ख़ी भी क्या है ज़रूरी..? मोहब्बत वो दरिया है जिसका बहना है ज़रूरी,