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झूठी शान ( चिंतन ) आजकल लोग रियल लाइफ को नही रील

झूठी शान (  चिंतन ) 
आजकल लोग रियल लाइफ को नही रील लाइफ को जीना चाहते हैं,
यानी पर्दे पर जो दिखाया जाता है ,उसे ही असल जिंदगी मान बैठे हैं,
हक़ीक़त को स्वीकार करने में उन्हें बड़ी उलझन होती है ,इसीलिए दूसरों पर  अपनी झूठी शान का रौब दिखाने के लिए कुछ भी कर गुज़रते हैं ,दिन प्रतिदिन बढ़ते अपराध शायद इसी का परिणाम हो ,
लोग दिखावे को ज़्यादा तवज़्ज़ो देने लगे हैं ,इसीलिए आधुनिक संसाधनों को अपनी शान का जरिया मानते हैं ,
जिसके चलते वो  अपने आय से अधिक ख़र्च कर बैठते हैं,
इसीलिए वो अपनी सीमित आय से असंतुष्ट रहते हैं ,और धन कमाने के अनैतिक उपायों को अपनाने से भी गुरेज नही करते ,
ये सब मध्यम वर्गीय परिवारों में अधिक देखने को मिलता है ,
यही कारण है कि सभ्य समाज का दिन प्रतिदिन पतन हो रहा है ।
मेरी तो यही ग़ुज़ारिश है कि झूठी शान को अपनी ज़िंदगी का हिस्सा ना बनाये ,जितना है उसी में खुश रहें अनैतिकता को ना अपनाएं ।।
बाल बाल बिंध  जाता है क़र्ज़ में ,झूठी शान में मत रहिये,
नींव रखिये सभ्य समाज की, आडंबर को जीवन मत कहिये,

-पूनम आत्रेय

©poonam atrey
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