माना लफ़्ज़ों में सच्चाई होती है, पर ख़ामोशी में गहराई होती है। तनहाई में कितने साथी होते हैं! महफ़िल में तो बस तन्हाई होती है। झूठ बोलकर क्यूं कोई शर्मिंदा हो, दिल में इतनी कहां सफ़ाई होती है! सोज़-ओ-अलम में ग़ज़ल मुकम्मल होती है, खुशियों में तो बस रूबाई होती है। दिल में जो इक शख़्स समाया होता है, सारी दुनिया उसमें समाई होती है। राहे्-वफ़ा पर चलते हैं जो लोग सनम, उनकी क़िस्मत में हि जुदाई होती है। मैं इतना शह-ज़ोर नहीं कि जीत सकूं, ख़ुद से मेरी रोज़ लड़ाई होती है। किस किस से हम रंजिश करते फिरें यहां! सारी दुनिया ही हरजाई होती है। कुछ तो बात है मुझमें जो मेरे पीछे, मुझसे छुपकर मेरी बुराई होती है। #yqaliem #khamoshi #ghazal #soz-o-alam #tanhaaii #shah_zor #harjaayi_duniya #ranjish