ख़ामोशी मेरी बहुत कुछ बताती है मगर सुनने वाला कोई नहीं तन्हाई मेरी बहुत कुछ समझाती है मगर समझने वाला कोई नहीं अकेले जीना गुनाह हो गया है मेरे लिए मगर सज़ा देने वाला कोई नहीं आसूं आते है तो पोछ लेता हूँ रुमाल देने वाला कोई नहीं रास्ते तो सब बताते है मगर साथ चलने वाला कोई नहीं गिरके खुद उठ जाता हूँ हाथ देने वाला कोई नहीं खुद से बात कर लेता हु कभी कभी राय देने वाला कोई नहीं हर पल को खुल के जीता हूँ क्योंकि हक़ जताने वाला कोई नहीं। - By Mohit Pal #koinhi