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मैं वाकिफ हूँ, ज़माने की हर इक कातिल अदाओं से ना

मैं वाकिफ हूँ, ज़माने की 
हर इक कातिल अदाओं से 
ना जीने दे खुलकर मुझे, ना मरने की दे मंजूरी,
किसे जाकर कहैं हम हाल बेगुनाही का, 
सब कह दिया होता गर तलबगार होता, 
हमारा भी।

©Senty Poet #तकदीर 

#Shayar #Dil #Bechara  #Dosti #Tanhai 

#humantouch
मैं वाकिफ हूँ, ज़माने की 
हर इक कातिल अदाओं से 
ना जीने दे खुलकर मुझे, ना मरने की दे मंजूरी,
किसे जाकर कहैं हम हाल बेगुनाही का, 
सब कह दिया होता गर तलबगार होता, 
हमारा भी।

©Senty Poet #तकदीर 

#Shayar #Dil #Bechara  #Dosti #Tanhai 

#humantouch
jassalamarjit5769

Senty Poet

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