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वो जिन्दगी थी जिन्दगी तबाह कर गई अकेला छोडा़ नही

वो जिन्दगी थी 
जिन्दगी तबाह कर गई
अकेला छोडा़ नही उसने कुछ यादे धमा कर गई
के यूं बेवफाई के आलम मे थी 
ये शामे 
कम्बक्त वो फिर भी मुस्कुरा के गई 
अब डर था के महफिलो मे बदनाम न करदु
इस डर से वो मेरी मौत को बुला के गई
वो जिन्दगी थी 
जिन्दगी तबाह कर गई 

                                               ravinajangra zindgi tabah Kar gai
वो जिन्दगी थी 
जिन्दगी तबाह कर गई
अकेला छोडा़ नही उसने कुछ यादे धमा कर गई
के यूं बेवफाई के आलम मे थी 
ये शामे 
कम्बक्त वो फिर भी मुस्कुरा के गई 
अब डर था के महफिलो मे बदनाम न करदु
इस डर से वो मेरी मौत को बुला के गई
वो जिन्दगी थी 
जिन्दगी तबाह कर गई 

                                               ravinajangra zindgi tabah Kar gai