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घनघोर तिमिर जब साधता गहन स्याह रात, उम्मीद की

घनघोर तिमिर  जब  साधता  गहन  स्याह रात,
उम्मीद की किरणें बनती बंजर धरा पर बरसात।

मिलता  है  टूटे  जीवन  को  उम्मीद  का सहारा,
बेघर   हुए    सपनों   को   उमंग  का  आसरा।

शिथिल  पड़ी  नसों  में  होता  रक्त  का संचार,
उत्साह के  हथौडे़ से होता अवसाद पर प्रहार।

परिवर्तनशील है नहीं रहता सदैव एक सा समय,
हर   निशा  बीतने  के   बाद  होता  है  सूर्योदय। 

#अनाम
घनघोर तिमिर  जब  साधता  गहन  स्याह रात,
उम्मीद की किरणें बनती बंजर धरा पर बरसात।

मिलता  है  टूटे  जीवन  को  उम्मीद  का सहारा,
बेघर   हुए    सपनों   को   उमंग  का  आसरा।

शिथिल  पड़ी  नसों  में  होता  रक्त  का संचार,
उत्साह के  हथौडे़ से होता अवसाद पर प्रहार।

परिवर्तनशील है नहीं रहता सदैव एक सा समय,
हर   निशा  बीतने  के   बाद  होता  है  सूर्योदय। 

#अनाम