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तुम पे इतना भी हक़ मैं नही जता सकता बेकरार हु कित

तुम पे इतना भी हक़ मैं नही जता सकता
 बेकरार
 हु कितना अब भी लफ्जो मैं बता नही सकता
फर्क नही पड़ता की तू आज किसको चाहती है
जमाना गवाह है सच्ची मोह्हबत कहाँ मिल पाती है #after_marriage
तुम पे इतना भी हक़ मैं नही जता सकता
 बेकरार
 हु कितना अब भी लफ्जो मैं बता नही सकता
फर्क नही पड़ता की तू आज किसको चाहती है
जमाना गवाह है सच्ची मोह्हबत कहाँ मिल पाती है #after_marriage