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ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता क्या एक ही शख्स है इ

ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता क्या एक ही शख्स है  इस जहां में होता क्यों यह मुझे  अक्सर, के वो शख्स आ जाता है मेरे सूखे समंदर के सामने ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता, ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,#नौशाद रब्बानी बिन शरीफ
ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता क्या एक ही शख्स है  इस जहां में होता क्यों यह मुझे  अक्सर, के वो शख्स आ जाता है मेरे सूखे समंदर के सामने ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता, ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,#नौशाद रब्बानी बिन शरीफ