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Dev Yadav ✍🏻 मैंने आसमां को बड़े गौर

Dev Yadav ✍🏻            
मैंने आसमां को बड़े गौर से देखा है,
ज़हरीली हवाओं का खौफ देखा है।

ठोकरें लगी हैं बेशुमार मुझे ज़िन्दगी में,
मैंने मौत को बड़े गौर से देखा है।

उसने खाना नहीं खाया है कई रोज़ से,
मैंने लोगों को भूख से बिलखते देखा है।

चांदनी से प्यारी थी भार्या अपनी उसको,
बीच राह में उसे भूख से तड़पते देखा है।

और, ये कौन हैं जिन्हे तुम नहीं जानते,
तुम्हारे सारे वादों को झूठे होते देखा है।

सिर पर बोझ, कंधे पर बच्चे, कोसों का सफर,
मैने लोगों को आस छोड़ते देखा है....

मैंने मौत को बड़े गौर से देखा है।
जय हिन्द 🇮🇳💪🏻
           ~Dev Yadav✍🏻✍🏻 #मज़दूर
Dev Yadav ✍🏻            
मैंने आसमां को बड़े गौर से देखा है,
ज़हरीली हवाओं का खौफ देखा है।

ठोकरें लगी हैं बेशुमार मुझे ज़िन्दगी में,
मैंने मौत को बड़े गौर से देखा है।

उसने खाना नहीं खाया है कई रोज़ से,
मैंने लोगों को भूख से बिलखते देखा है।

चांदनी से प्यारी थी भार्या अपनी उसको,
बीच राह में उसे भूख से तड़पते देखा है।

और, ये कौन हैं जिन्हे तुम नहीं जानते,
तुम्हारे सारे वादों को झूठे होते देखा है।

सिर पर बोझ, कंधे पर बच्चे, कोसों का सफर,
मैने लोगों को आस छोड़ते देखा है....

मैंने मौत को बड़े गौर से देखा है।
जय हिन्द 🇮🇳💪🏻
           ~Dev Yadav✍🏻✍🏻 #मज़दूर
shelendrayadav3607

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