मरमरी सा बदन कातर चितवन मंद -मंद हंसी पोटली मोतियों की खुली1 पत्तों की सरसराहट कानों में मधुरस घोल गयी वो संदली सी शाम थी तब वो मेरी आगोश में थी मै भूल गया था उसको जाना भी है आज अकेले बैठकर मैं उसे याद कर रहा हूँ दूर कहीं से आती घुँघरु की पदचाप पर मैं बरबस चौंक उठता हूँ नींद में भी ©🇮🇳करिश्मा राठौर #उसकी_यादें #मुलाक़ात #lotus