बस दोस्ती की कदर है दोस्त ये तेरा असर नही है दोस्त लोग-बाग हमे भी जानते बहुत है इसमें कोई कसर नही है दोस्त तू अपनी शर्तों पे जी अच्छी बात है इतना आसान भी सफर नही है दोस्त चल फिर कभी मिलेंगे किसी मोड़ पे तुझमें क्या मुझसे भी सबर नही है दोस्त मज़बूत हो जायेगे तो फ़िर मिलते हैं ये बार-बार टूटने की उमर नही दोस्त बस दोस्ती की कदर है दोस्त ये तेरा असर नही है दोस्त लोग-बाग हमे भी जानते बहुत है इसमें कोई कसर नही है दोस्त तू अपनी शर्तों पे जी अच्छी बात है इतना आसान भी सफर नही है दोस्त