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पुरानी शाख पर - धूल अटे - जाले से लटकी मकड़ी , उ

पुरानी शाख पर -
धूल अटे 
- जाले से लटकी मकड़ी ,
 उलझ गई -
अपने ही बुने संबध मध्य ,
छूटते ही पकड़ लेती  फिर 
– ताख पर रख स्वयं ,
प्रेम की वांछना में -
एक पांव पर खड़ी
- जैसे कोई हठयोगिनी l

©Gunjan Agarwal
  #क्षणिका #कविता

क्षणिका कविता

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