न कोई महफ़िल न कोई नग्मा , न वो समा याद आया मेरी माँ ने जो बताया था मुझसे , वो मकान याद आया कई किस्से, कई बातें, कई बहाना याद आया उन कहानियों में देखा हुआ, वो फसाना याद आया न कोई साजिश न कोई बंदिश , न कोई बहाना याद आया दिल तोड़ के जो गया मेरा , आज 'वो' बेगाना याद आया #Neighbour