वो इतरा के बलखा के चलती थी वो मुस्कुरा के बगल से गुजरती थी शायद पसंद करती थी मुझे पर लोगों से डरती थी। वो सामने आकर चुपके चुपके देखा करती थी शायद कुछ कहना था उसे पता नही क्यों डरती थी। हम भी ठहरे नादान समझ न सके इशारे वो जो हमे किया करती थी एक दिन सोचा रोक के पूछूं उसे पर क्या कहूँ बड़ी तेजी से निकलती थी। फिर वो दिन आया जिसका मुझे इंतज़ार था उसने कहा दिया कि मुझसे प्यार था बस बात ऐसी थी कि यूँ ही मजे लिया करती थी। #इतराना #प्यार #nojoto#nojotohindi#quotes#poems