खिल रही है जो हल्की हल्की तब्बसुम मेरे लबो पर ये सुहाने मौसम का नही तेरी चाहत का असर हे.....! इक मुट्ठी बीज बिखेर दो दिलों की जमीन पर यारों, बारिश का मौसम है शायद अपनापन पनप जाए...!!!! 🌱संतोष गुड़िया🌱 #YourQuoteAndMine Collaborating with Santosh Kumari