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White माना कि, नया सवेरा आना है, पर कब तक घुट-घुट

White माना कि, नया सवेरा आना है,
पर कब तक घुट-घुट कर जीना है?

पर हर बंधन को तोड़, अपने पथ पर बढ़ जाऊँगा,
जीवन के इस चक्रव्यूह में, अभिमन्यु कहलाऊँगा

©Dinesh Kumar Pandey  poetry in hindi
White माना कि, नया सवेरा आना है,
पर कब तक घुट-घुट कर जीना है?

पर हर बंधन को तोड़, अपने पथ पर बढ़ जाऊँगा,
जीवन के इस चक्रव्यूह में, अभिमन्यु कहलाऊँगा

©Dinesh Kumar Pandey  poetry in hindi