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दिन ढलने के बाद अंँधेरा छाएगा। फिर इक हरखू जगकर रा

दिन ढलने के बाद अंँधेरा छाएगा।
फिर इक हरखू जगकर रात बिताएगा।

इक कहानी मंत्र सी फिर दुहराएगी।
डॉक्टर  चड्डा  करनी  पर  पछताएगा।

बलिदानी,स्वाभिमानी,बूढ़ा भगत फिर,
मानवता  की  लाज   बचाने   जायेगा।

शांत,मौन,ध्यानी,योगी सा बैठा उल्लू,
मध्य  रात्रि में  फिर आतंक  मचाएगा।

कोई हाकिम बोल के मीठी बोली दो,
लोगों  का  सुख चैन  छीनने  आएगा। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #गीतिका_मन #ग़ज़ल_मन
दिन ढलने के बाद अंँधेरा छाएगा।
फिर इक हरखू जगकर रात बिताएगा।

इक कहानी मंत्र सी फिर दुहराएगी।
डॉक्टर  चड्डा  करनी  पर  पछताएगा।

बलिदानी,स्वाभिमानी,बूढ़ा भगत फिर,
मानवता  की  लाज   बचाने   जायेगा।

शांत,मौन,ध्यानी,योगी सा बैठा उल्लू,
मध्य  रात्रि में  फिर आतंक  मचाएगा।

कोई हाकिम बोल के मीठी बोली दो,
लोगों  का  सुख चैन  छीनने  आएगा। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #गीतिका_मन #ग़ज़ल_मन