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तू कौन है?तू क्या है?कोई आग का दरिया है? या है कोई

तू कौन है?तू क्या है?कोई आग का दरिया है?
या है कोई बहती नदी?या कोई रेगिस्ता है ?
बिन छोर का धागा है तू!बिन बात की बाधा है तू!
तू ही तो है जो सब में है।तू ही सुबह और शब में है!
तू ही बसा हर दिल मे है।तेरे नाम के कातिल भी है।
तू जानता है सब मगर।बन के पड़ा पत्थर मगर।
मुझे है यकीं तू आएगा।फ़िर रौशनी फैलाएगा।
जो नफरतों का है ज़हर।उसको तू फ़िर पी जाएगा।
अब देर ना कर तू ज़रा।इंसान टुकड़ो में बंटा।
थोड़ा सा बस कर दे करम।सब जान लें असली धरम।
भाई से भाई ना लड़े।कोई हिन्दू-मुस्लिम ना करे।
तू साथ सबको जोड़ दे।कोई नया अब मोड़ दे।
सब को बता दे सच जो है।की सब ही तेरे बस तो है।
तू कर कोई जादू नया।जो कर सकें सब ही बयां।
बतला दे तू है हर सिला।ये उलझनों का जो सबब।
सुलझा दे इन सबको अब,सुलझा दे तू इन सबको अब। तू कौन है?तू क्या है?कोई आग का दरिया है?
या है कोई बहती नदी?या कोई रेगिस्ता है ?
बिन छोर का धागा है तू!बिन बात की बाधा है तू!
तू ही तो है जो सब में है।तू ही सुबह और शब में है!
तू ही बसा हर दिल मे है।तेरे नाम के कातिल भी है।
तू जानता है सब मगर।बन के पड़ा पत्थर मगर।
मुझे है यकीं तू आएगा।फ़िर रौशनी फैलाएगा।
जो नफरतों का है ज़हर।उसको तू फ़िर पी जाएगा।
तू कौन है?तू क्या है?कोई आग का दरिया है?
या है कोई बहती नदी?या कोई रेगिस्ता है ?
बिन छोर का धागा है तू!बिन बात की बाधा है तू!
तू ही तो है जो सब में है।तू ही सुबह और शब में है!
तू ही बसा हर दिल मे है।तेरे नाम के कातिल भी है।
तू जानता है सब मगर।बन के पड़ा पत्थर मगर।
मुझे है यकीं तू आएगा।फ़िर रौशनी फैलाएगा।
जो नफरतों का है ज़हर।उसको तू फ़िर पी जाएगा।
अब देर ना कर तू ज़रा।इंसान टुकड़ो में बंटा।
थोड़ा सा बस कर दे करम।सब जान लें असली धरम।
भाई से भाई ना लड़े।कोई हिन्दू-मुस्लिम ना करे।
तू साथ सबको जोड़ दे।कोई नया अब मोड़ दे।
सब को बता दे सच जो है।की सब ही तेरे बस तो है।
तू कर कोई जादू नया।जो कर सकें सब ही बयां।
बतला दे तू है हर सिला।ये उलझनों का जो सबब।
सुलझा दे इन सबको अब,सुलझा दे तू इन सबको अब। तू कौन है?तू क्या है?कोई आग का दरिया है?
या है कोई बहती नदी?या कोई रेगिस्ता है ?
बिन छोर का धागा है तू!बिन बात की बाधा है तू!
तू ही तो है जो सब में है।तू ही सुबह और शब में है!
तू ही बसा हर दिल मे है।तेरे नाम के कातिल भी है।
तू जानता है सब मगर।बन के पड़ा पत्थर मगर।
मुझे है यकीं तू आएगा।फ़िर रौशनी फैलाएगा।
जो नफरतों का है ज़हर।उसको तू फ़िर पी जाएगा।