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और-और ना करना पगले। थोड़ा संयम को तू चखले।। प्रीत

और-और ना करना पगले।
थोड़ा संयम को तू चखले।।
प्रीत प्रीत की रीत चुनो जी।
 कोई ऐसी नीत गुनो जी।।
 आग राग की नहीं बढ़ाओ।
 तन मन में ना दाग चढ़ाओ।।
हार- हार प्रहार ना मानो।
अपना इसको गुरु तुम जानो।।
रार-रार हो क्यों तुम ठाने।
न क्यों मेहनत अपना माने।।
भाग्य-भाग्य क्या होता जग में।
सभी कुछ मिलता प्रखर पग में।।
संघर्ष कर ही बनता जीवन ।
महके है इससे यह उपवन।।


शब्द विशेष:-नीत-धन-संपत्ति
राग:-वैरभाव
गुनो:-मनन करो
रार:-झगड़ा
प्रखर:-सशक्त

©Bharat Bhushan pathak और-और ना करना पगले।
थोड़ा संयम को तू चखले।।
प्रीत प्रीत की रीत चुनो जी।
 कोई ऐसी नीत गुनो जी।।
 आग राग की नहीं बढ़ाओ।
 तन मन में ना दाग चढ़ाओ।।
हार- हार प्रहार ना मानो।
अपना इसको गुरु तुम जानो।।
और-और ना करना पगले।
थोड़ा संयम को तू चखले।।
प्रीत प्रीत की रीत चुनो जी।
 कोई ऐसी नीत गुनो जी।।
 आग राग की नहीं बढ़ाओ।
 तन मन में ना दाग चढ़ाओ।।
हार- हार प्रहार ना मानो।
अपना इसको गुरु तुम जानो।।
रार-रार हो क्यों तुम ठाने।
न क्यों मेहनत अपना माने।।
भाग्य-भाग्य क्या होता जग में।
सभी कुछ मिलता प्रखर पग में।।
संघर्ष कर ही बनता जीवन ।
महके है इससे यह उपवन।।


शब्द विशेष:-नीत-धन-संपत्ति
राग:-वैरभाव
गुनो:-मनन करो
रार:-झगड़ा
प्रखर:-सशक्त

©Bharat Bhushan pathak और-और ना करना पगले।
थोड़ा संयम को तू चखले।।
प्रीत प्रीत की रीत चुनो जी।
 कोई ऐसी नीत गुनो जी।।
 आग राग की नहीं बढ़ाओ।
 तन मन में ना दाग चढ़ाओ।।
हार- हार प्रहार ना मानो।
अपना इसको गुरु तुम जानो।।