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क्योंकि अब पड़ोसी न नज़र मिलाते हैं, न हाथ। न वॉकपर

क्योंकि अब पड़ोसी न नज़र मिलाते हैं, न हाथ।
न वॉकपर जाते और न चाय पर चर्चा करते साथ।
न नुक्क्ड़ वाले काका मूंगफली का ठेला लगाते
और न ही रिक्शेवाले 'कहाँ जाना है मैडम' की आवाज़ लगाते।
न सड़कों पे गाड़ियों का हॉर्न बजता
और न ही फूलों का ठेला सजता।
न सुबह-सुबह स्कूल बस छूटने की झिकझिक होती
और न ही घरों में हर वक़्त घड़ी की टिक-टिक होती।
इसीलिए,
बस इसीलिए, प्रकृति निरंतर अपना कार्य करती
हमें ज़िंदगी के होने का एहसास दिलाती।
रोज़ साँझ सूरज है, रात्रि करने के लिए ढलता,
सवेरे उसके आने से, रोज़ का दिन भी है चलता।
वैसे ही चाँद भी आता, मुझसे फिर घंटो बतियाता
पड़ोसी की जगह अब यही, रोज़ मेरे रूबरू आता।
~कविताकीकविताएँ

©Kavita Verma #moonchild #moonistheonlylight #selenophile #moonlove #Moon
क्योंकि अब पड़ोसी न नज़र मिलाते हैं, न हाथ।
न वॉकपर जाते और न चाय पर चर्चा करते साथ।
न नुक्क्ड़ वाले काका मूंगफली का ठेला लगाते
और न ही रिक्शेवाले 'कहाँ जाना है मैडम' की आवाज़ लगाते।
न सड़कों पे गाड़ियों का हॉर्न बजता
और न ही फूलों का ठेला सजता।
न सुबह-सुबह स्कूल बस छूटने की झिकझिक होती
और न ही घरों में हर वक़्त घड़ी की टिक-टिक होती।
इसीलिए,
बस इसीलिए, प्रकृति निरंतर अपना कार्य करती
हमें ज़िंदगी के होने का एहसास दिलाती।
रोज़ साँझ सूरज है, रात्रि करने के लिए ढलता,
सवेरे उसके आने से, रोज़ का दिन भी है चलता।
वैसे ही चाँद भी आता, मुझसे फिर घंटो बतियाता
पड़ोसी की जगह अब यही, रोज़ मेरे रूबरू आता।
~कविताकीकविताएँ

©Kavita Verma #moonchild #moonistheonlylight #selenophile #moonlove #Moon
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Kavita Verma

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