हार हो जाना इतना बुरा भी नहीं है ।आखिर हार होने के बाद ही तो व्यक्ति अपनी कमियों को ढूंढ कर उनको दोबारा न दोहराने की कोशिश कर जीत की राह पर अग्रसर होता है । लेकिन हार को व्यक्ति आसानी से हजम नहीं कर पाता वो भी तब जब वो हमेशा जीतता रहा हो, ऐसे में वह व्यक्ति स्वयं को अपमानित या गुनहगार महसूस करता है ,लोगों की सवालिया नजरों से बचना चाहता है उसे डर रहता है लोग उसे कायर न ठहराने लगें ,वो नहीं चाहता लोग उसे बेचारा कहकर सम्बोधित करें । हार होने पर लोगों का उपेक्षापूर्ण व्यवहार व्यक्ति के अन्तःकरण को छिन्न- भिन्न कर देता है जो कि व्यक्ति के लक्ष्य प्राप्ति में बाधायें उत्पन्न करता हैं जोखिम उठाने की क्षमता भी प्रभावित होती रहती है ।हमारे आसपास रहने वाले हमारे करीबी व्यक्तियों का सपोर्टिंग नजरिया ही व्यक्ति के लक्ष्य प्राप्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। आलोचना करते समय ख्याल रहे सामने वाले व्यक्ति के आत्मसम्मान को चोट ना पहुंचे। #हार_जीत#नजरिया