कभी कभी लगता है मैं यूँ ही बे वज़ह तेरे दरवाजे पर दस्तक दे कर लहर उठाता हूँ अक़्सर, ये भी सोचता हूँकि मैं खुद को रोक लूँ जिरह भी करता हूँ, ज़िद भी करता हूँ मगर, धूप बन कर तेरी आँखों का नूर मुझे बंध लेता है तू मरहम बन कर मेरी रूह में उतर आती है और, मैं, ख़ुद को तुझ में भूला कर इफ़रात हो जाता हूँ मैं जानता हूँ कि तू मुझ से वाबस्ता तो नहीं, लेकिन, मैं ख़ुद को तुझ में पिरो कर तस्बीह बन गया हूँ #ना_शोना_के_पैराहन_ना_मीठा_के_पैर #तस्बीह #kavishala #hindinama #tassavuf #mikyupikyu #meethashona