( मैं तिनका हूँ) बड़ा छोटा वजूद है मेरा। कहाँ देखेगा कोई मेरे मन के भीतर भी कोई झाँककर की मेरे मन के अंदर एक और तिनका है जो मुझे भी चुभता है पर कोई कहाँ समझेगा मेरी भावना को क्योंकि मैं तो बस इक़ छोटा सा तिनका हूँ। जिसका न कोई सफर न कोई डगर न कोई एक मंज़िल है हवा के बहाव ही अक्सर मेरा ठिकाना तय करते हैं। क्या मिलेगी इज्जत मुझे सौ ढेरों के बीच मे। क्योंकि मैं बस एक तिनका हूँ और बिखरा हुआ पड़ा हूँ। #तिनका