ख़त के छोटे से लिफ़ाफे में नहीं आएँगे ग़म ज़्यादा है किसी लिखने में नहीं आएँगे... हम ना मजनू है ना रांझें के कुछ लगते हैं अब हम किसी तमाशे में नहीं आएँगे... उसकी कुछ ख़बर हो तो बताओं, यारों हम किसी दिलासे में नहीं आएँगे... मुख़्तसर वक्त में यें बात नहीं हो सकतीं दर्द़ ज्यादा है किसी खुलासें में नहीं आएँगे... जिस तरह आज उसने बीमार से रूख़्सत लीं हैं सच लगता है वो ज़नाजे में नहीं आएँगे ।। #लिफ़ाफ़े #लिखने #मजनूँ #रांझे #तमाशे #मुख्तसर _वक्त़ #खुलासे #जनाजें