उम्र के इस मोड़ पर लड़ना भी अच्छा नही होता अभ्र के इस छोर पर उड़ना भी अच्छा नही होता याद आती है मुझे तेरे इश्क की शाम औ सहर यूँ नाराज हो दूर रहना भी अच्छा नही होता - चन्द्रेश टेलर प्रीत के मुक्तक २