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निकले थे घर से कमाने की खातिर खुद को ही गवाँ बैठे

निकले थे घर से कमाने की खातिर खुद को ही गवाँ बैठे
अपने हुए पराए और हम परायों से दिल लगा बैठे
दिन भर तो मश्गूल रहे शाम होते नदी किनारे जा बैठे
यूँ तो मुफलिसी मे जिंदगी कुछ अजीब सी हो गई
पर जाने क्यों पानी मे छवि देखकर खुद की
हम खुद पर ही मुस्कुराह बैठे......

#अंजान.....

©निखिल कुमार अंजान #retro
निकले थे घर से कमाने की खातिर खुद को ही गवाँ बैठे
अपने हुए पराए और हम परायों से दिल लगा बैठे
दिन भर तो मश्गूल रहे शाम होते नदी किनारे जा बैठे
यूँ तो मुफलिसी मे जिंदगी कुछ अजीब सी हो गई
पर जाने क्यों पानी मे छवि देखकर खुद की
हम खुद पर ही मुस्कुराह बैठे......

#अंजान.....

©निखिल कुमार अंजान #retro