Nojoto: Largest Storytelling Platform

प्रतड़ित होता स्नायुतंत्र, मन स्मरण करे मुग्धा सुमन

प्रतड़ित होता स्नायुतंत्र, मन स्मरण करे मुग्धा सुमन्त्र
छा नाश रहा सर्वोपद्रव, नूतन विचार करते कलरव
कवि! भूत विलय
चिन्तन को सारे ऊर्ध्व मोड़, बन्धन समस्त जर निठुर तोड़
धार अश्रु के नयन रोक, ले नव प्रेरण मयजाल लोक
कवि! रुदन विलय
विकृत वर्तन मन मीत मयन, चेतन सुख क्षय जड़ भोग सयन
घहराय काल चल जहँ कराल, उड़ चल कपोत धर मरण जाल
कवि! जड़न विलय
बीज धनिक तरु फल कोंपल, तरुणाइ पवन भर वक्षस्थल
शोणित सिंच भुजबल बाँध गगन, अरि ध्वंस कूच कर साध दमन
कवि! नवल उदय "कवि! नवल उदय"
कवि के नये उदय को प्रदर्शित करती एक कविता।

I don't understand this at all. I simply changed to being a better version of myself.

Yes, sailing through grave affliction,"I Rose"

How come?
प्रतड़ित होता स्नायुतंत्र, मन स्मरण करे मुग्धा सुमन्त्र
छा नाश रहा सर्वोपद्रव, नूतन विचार करते कलरव
कवि! भूत विलय
चिन्तन को सारे ऊर्ध्व मोड़, बन्धन समस्त जर निठुर तोड़
धार अश्रु के नयन रोक, ले नव प्रेरण मयजाल लोक
कवि! रुदन विलय
विकृत वर्तन मन मीत मयन, चेतन सुख क्षय जड़ भोग सयन
घहराय काल चल जहँ कराल, उड़ चल कपोत धर मरण जाल
कवि! जड़न विलय
बीज धनिक तरु फल कोंपल, तरुणाइ पवन भर वक्षस्थल
शोणित सिंच भुजबल बाँध गगन, अरि ध्वंस कूच कर साध दमन
कवि! नवल उदय "कवि! नवल उदय"
कवि के नये उदय को प्रदर्शित करती एक कविता।

I don't understand this at all. I simply changed to being a better version of myself.

Yes, sailing through grave affliction,"I Rose"

How come?