उम्मीद नही की थी जिसकी वो हादशा हो गया मेरा मन न जाने क्यों फिर उसकी यादो में खो गया, सुना है बीती बातों की खलिश रोक रही है आने से उससे कहो के छोड़ो जो हो गया सो हो गया, सोचा था के कुछ पल रहेंगे साथ और फिर छोड़ देंगे मगर वो तो देखते ही देखते मेरा महबूब हो गया यहां हम है के मखमल में भी ठंड लग रही है एक वो गरीब है जो शबनम को ओड कर सो गया हाथ जोडने वाले को बात कहने का मोका क्या दिया ,शादाब"अपने आपको समझता है खुदा हो गया। शादाब कमाल ©शायर शादाब कमाल #मोहब्बत_से_खाक_तक #गज़ल 🐦Awaaz-e-shayari (Imran Hussain) Rao Divya Yaduvanshi ❣️ Annu Sharma minaक्षी goyल Chetana kamble