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अखबार मे तेरे शहर की कहानी लिखी है खुन,के,धब्बो पे

अखबार मे तेरे शहर की कहानी लिखी है
खुन,के,धब्बो पे स्याही की जिंदगानी लिखी है

जिंदगी की अदाकारी मे सारी रश्मे उलझी हैं
कौन सच्चा हैं कौन झुठा है ये कहानी लिखी है

लोग,मुहब्बत,भीड़,तन्हाई सब इल्ताफ-ए-करम है
मेरी आँखों मे धूल तेरी आँखों मे पानी लिखी है

जर्जर हो गयी हैं दरख्त मिरे जमीन की
अब कर्ज मे उसके छाँव की निशानी लिखी है

किसमे कितना गहरा है राज-ए-जहाँ ,समन्दर !
अब झुठ के कागज पे मुहब्बत की जुबानी लिखी है

अखबार मे तेरे शहर की कहानी लिखी है
खुन के धब्बो पे स्याही की जिंदगानी लिखी हैं
राजीव
अखबार मे तेरे शहर की कहानी लिखी है
खुन,के,धब्बो पे स्याही की जिंदगानी लिखी है

जिंदगी की अदाकारी मे सारी रश्मे उलझी हैं
कौन सच्चा हैं कौन झुठा है ये कहानी लिखी है

लोग,मुहब्बत,भीड़,तन्हाई सब इल्ताफ-ए-करम है
मेरी आँखों मे धूल तेरी आँखों मे पानी लिखी है

जर्जर हो गयी हैं दरख्त मिरे जमीन की
अब कर्ज मे उसके छाँव की निशानी लिखी है

किसमे कितना गहरा है राज-ए-जहाँ ,समन्दर !
अब झुठ के कागज पे मुहब्बत की जुबानी लिखी है

अखबार मे तेरे शहर की कहानी लिखी है
खुन के धब्बो पे स्याही की जिंदगानी लिखी हैं
राजीव