क्या हर बार एक लड़का ही गलत होता है? क्यों हमेशा ये ज़माना लडकियो की हां में हां मिलता है? मेरा अपने हक के लिए लड़ना, तुम्हे कुछ गलत करने से रोकना; क्या ख़ता मेरी ये इतनी बड़ी थी? तुम्हारे उस इल्ज़ाम से सारी दुनिया मेरे खिलाफ खड़ी थी; तुम्हारे उस इल्ज़ाम ने मेरी दुनिया में, कुछ यूं तहलका मचाया था; मेरा हर जानने वाला,मेरा वो चाहने वाला भी, मुझे पहचानने से,मुझे अपना बताने से हिचकिचाया था; मेरे बेगुनाह होते हुए भी, सारी दुनिया ने मुझे गुनहगार ठहराया था; मैं तो तुम्हें जानता भी नहीं था, तो फिर आख़िर क्यों तुमने, मुझपर इतना ज़ुल्म ढाया था; तुम्हें कुछ गलत करने से रोकना, मेरी वो गलती क्या इतनी बड़ी थी; कर के मुझे बदनाम,दिखा कर खुद को एक अबला नारी, कमा लिया तुमने ख़ुद के लिए खूब नाम और बता दिया मुझे व्यभिचारी; कर के मुझ पर झूठा केस, तुम तो चली गई किसी और देश; कर लिया तुमने खुद को आबाद, कर दी मेरी हंसती खेलती दुनिया बर्बाद; कहने को तो अभी भी हूं ज़िन्दा, पर बन चुका हूं अब एक ज़िन्दा लाश; छोड़ कर अपना घर बार, रहता हूं अब इस कब्रिस्तान में; करते हुए इन मुर्दों से बात, ढूंढता हूं बस एक सवाल का जवाब मैं; किस बात की मिली मुझे ऐसी सज़ा थी, क्या एक लड़का होना,बस यही मेरी ख़ता थी? © कव्यप्रिंस #alone #frustation #all_boys_not_same #RESPECT #boys #same_law_for_all #freedom_of_speech #loss_for_society #never_give_up #follow