ये मोहब्बत भी जिंदगी को रास आती है, अपनों से छुड़ाकर गैरों के पास लाती है | पर्दे मे ही रखकर हकीक़त सब बताती है, बयां करती नहीं पहले बाद मे सब बताती है | वाह ऐ मोहब्बत तेरी भी क्या सियासत है, जिंदगी जीने की उम्र में मरना सिखाती है | वाह ऐ मोहब्बत तेरी भी क्या सियासत है, जिंदगी जीने की उम्र में मरना सिखाती है #